Shree Mahaperiyava प्रातः हर दिन हरि नाम का जाप करते थे।
एक छात्र ने इसका अवलोकन किया। Shree Mahaperiyava के माथे पर शिव भस्म थी, गले में रुद्राक्ष, जो शैव धर्म के संकेत थे, यहाँ वह श्री हरि के नाम का पाठ कर रहे थे।
यह क्या था?
छात्र ने खुद श्री Shree Mahaperiyava से पूछा।
एक वैदिक जो पास ही खड़ा था उसने इसके लिए छात्र से आपत्ति प्रकट की |
"आपको Shree Mahaperiyava को इस तरह से संबोधित नहीं करना चाहिए।"
इस पर Shree Mahaperiyava ने कहा, "बच्चे को फटकार मत लगाओ, उसे अपनी जिज्ञासा शांत करने दो "
मैं उसका जवाब दूंगा। ”
बच्चे ने ने प्रश्न किया की आप शैव है और हरि नाम जप कर रहे हैं ।
श्री Shree Mahaperiyava ने बच्चे को स्पष्टीकरण दिया।
"सृजन, पालन और संहार सृष्टि के तीन क्रम हैं ।
श्री हरि विष्णु पालक हैं, वो शक्ति जो सृजन और संहार के बीच कार्य करती है| ।
प्रातः जिस क्षण हम उठते हैं उस क्षण से शाम को वापस विश्रामस्थल पर वापस आने तक हमे श्री हरि विष्णु का स्मरण करते रहना चाहिए ताकि हमारे सभी कार्य बिना किसी बाधा के कुशलतापूर्वक संपन्न हो |
इसी प्रकार रात्रि में हमे परमेश्वर शिव का ध्यान करना चाहिए |
उनके इस उत्तर ने छात्र को संतुष्ट किया |
हर हर शंकर जय जय शंकर
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